कन्या हा.से.स्कुल पिटोल में 92 प्रतिशत छात्राऐं आदिवासी जहां पसरा है समस्याओं का अंबार*व्यवस्थित बैठाना तो ठीक अच्छा पीने *का पानी तक नसीब नहीं*


निर्भयसिंह ठाकुर झाबुआ (पिटोल)- म. प्र. के पश्चिमी क्षेत्र में जिला मुख्यालय झाबुआ से महज 17 किमी दूर स्थित जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित पिटोल का शासकीय कन्या उच्चतर माद्यमिक विद्यालय पिटोल इन दिनों विद्यालय में पढने वाली 396 छात्राओं के लिये, विद्यालय में व्याप्त दर्जनों समस्याओं को लेकर परेशानी का कारण बना हुआ है। अधिकतम 40 छात्राओं को बैठकर अध्ययन करवाने की क्षमता वाले कक्षों में 80 छात्राओं को बैठाकर अध्ययन करवाया जा रहा है।
कक्षा 9 से 12 तक लगने वाली कक्षाओं में दर्ज 396 छात्राओं को पढाने के लिये विद्यालय में महज 8 कमरे है उसमें भी 2 कमरे इतने छोटे है कि 30 छात्राऐं भी ठीक से नहीं बैठ पाती है। नियमानुसार भी एक कक्ष में 40 छात्राओं को ही बैठाया जा सकता है। यहां दर्ज 396 में से 365 एसटी, 07 एससी, 21 ओबीसी एवं 03 छात्राऐं सामान्य वर्ग से आती है।
समस्याओ को लेकर सरकारी प्रयास बोने
आदिवासी बहुल झाबुआ जिला जो कि एक समय निरक्षरता ओर अशिक्षा के अंधकार में आकंठ डुबा हुआ था किंतु सामाजिक ओर सरकारी प्रयासों से अब स्कुलों में आदिवासी बच्चों की एक बडी संख्या दर्ज होने लगी है। संख्या के मान से सुविधाओं को लेकर सरकारी प्रयास बोने दिखाई पड रहे है। गुरुवार को जब ग्राउण्ड रिपोर्ट ली गई तो स्कुली छात्राओं ने चोंकाने वाली समस्याऐं बताई जो कि मूलभूत होकर हल करने योग्य है। छात्रा संस्कृति तोमर ने बताया कि जो समस्याऐं आज बताई जा रही है जस की तस गत वर्ष विभाग के कुछ अधिकारी झाबुआ से यहां पहुंचे थे उन्हें भी बताई गई। लेकिन उसके बाद स्कुल की सुध लेने कोई नहीं आया। समस्याऐं आज भी वहीं की वहीं यथावत खडी है।
इन समस्याओं से हर दिन रुबरु हो रही छात्राऐं
विद्यालयीन छात्राऐं निधि वर्मा एवं शिवानी खराडी के अनुसार……….

  • 400 छात्राऐं एक 20 लिटर की स्टील टंकी में से पी रही पानी। वह भी खरीदकर लाना पड रहा है।
  • सत्र चालु हुऐ दूसरा माह बीतने को है अतिथि शिक्षकों के कहीं पते नहीं। कक्षा 12 की छात्राऐं बोर्ड परिक्षाओं में अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो रही है।
  • विषयवार शिक्षकों की नियमित नियुक्तियां नहीं, अतिथि शिक्षकों के सहारे अध्यन किंतु वे भी अभी नहीं है। बताया जा रहा है कि 1 अगस्त से होगी व्यवस्था ।
  • तकनिकी शिक्षा के लिये 396 छात्राओं के बीच में एक भी कम्प्यूटर नहीं। जबकि अन्य जगहों पर कक्ष के साथ ही शिक्षण की भी व्यवस्थाऐं है।
  • न खेल प्रशिक्षक है न खेल गतिविधियां।
  • छात्राओं के लिये सुविधा जनक प्रसाधन कक्ष पर्याप्त नहीं है। एक मात्र प्रसाधन कक्ष में लगाना पडती है लाईन।
  • विद्यालय में वर्षदर वर्ष बढ रही संख्या के मान से अतिरिक्त कक्षों को बढाऐ जाने की आवश्यकता है।
  • स्कुल में न मैदान है न लाईब्रेरी आखिर खाली वक्त में वे जाऐ ंतो जाऐं कहाॅ।
  • ब्लेक बोर्ड ऐसे की क्या लिखाया जा रहा है कुछ समझ नहीं आ रहा है उन्हें।
    इन्होने बताया
    विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य पियुष पटेल ने बताया कि छात्राओं द्वारा बताई जा रही समस्याऐं सामने है। विभाग को गत 2 वर्षों से अवगत करवा रहे है। निर्माण कार्य उनके अधिकार क्षैत्र में नहीं है। स्थानीय स्तर की समस्याओं को हल करवाने का वे प्रयत्न करेंगे।
    फोटो -1 पिटोल कन्या उ.मा. विद्यालय की छात्राओं को इस तरह बेठकर करना पड रहा अध्ययन।
    2- इस एक पानी की टंकी से पीती है इतनी संख्या में छात्राऐं पानी।
    3- समस्याओं से अवगत करवाती जागरुक छात्राऐं।
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राजेंद्र राठौर

राजेंद्र राठौर टुडे लाइव न्यूज़ के सह-संपादक हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में वर्षों का अनुभव रखने वाले राठौर राजनीतिक, सामाजिक और जनहित से जुड़े विषयों पर उत्कृष्ट पकड़ और विश्लेषण क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी निष्पक्ष, तथ्यपरक और जनसंवेदनशीलता से परिपूर्ण होती है।

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