हमारे नमस्कार में शक्ति होगी तो चमत्कार स्वत घटित हो जाएगा।


झाबुआ। ज्योतिष विधि से गुणों का मिलान करवाने के पश्चात भी यदि वैवाहिक जीवन में सुख शांति नहीं रहती है, तो यह परिणाम कैसे प्राप्त हुआ। हम परमात्मा को मंदिर में ढूंढते हैं, लेकिन हमें यह सोचना होगा कि हमारे नमस्कार में कितनी शक्ति है। यदि हमारे नमस्कार में शक्ति होगी तो चमत्कार स्वत घटित हो जाएगा। परमात्मा से कुछ भी मांगो नहीं, भगवान केवल मोक्ष की संपदा प्रदान करते हैं। साधु भगवंत भी समाज से बड़े नहीं होते, लेकिन समाज के साथ मिलकर ही वैभव स्थिरता बढ़ती हैं। संतों ने अपने प्रवचन में कहा कि श्रावक गण माया का त्याग करो, लेकिन यह सर्वविदित है कि जो कहते हैं वह करते नहीं है एवं जो करते हैं वह कहते नहीं है। यह वचन मंगलवार को झाबुआ के बावन जिनालय पौषध भवन में उत्तराध्ययन सूत्र के व्याख्यान के दौरान साध्वी कल्पदर्शिताजी ने कहें।
धर्म सभा में साध्वी अविचल दृष्ट जी ने बताया कि नमस्कार महामंत्र के अंतर्गत किए गए पांचो नमस्कार से हमारे समस्त पापों का नाश होता है। यह नमस्कार मंत्र भाव मंगल होता है, हम जिन गुरुओं का आलंबन लेकर बैठे हैं उनका उल्लेख पंचिदियों सूत्र में किया गया है। सूत्र के अनुसार हम सारे सांसांरिक प्रपंचों को छोड़कर गुरूजी को वदंन करते है। हमारे प्रतिक्रमण में 100 आवश्यक होते हैं एवं 100 वंदन होते हैं। धर्म को सीखो, यह पंचकाल है। साधु– साध्वी भगवत के पास जिनवाणी का धन है। जिसे तुम जितना प्राप्त करना चाहो प्राप्त करो, भव यात्रा से भाव यात्रा में पहुंचो। धर्म सभा में श्री संघ अध्यक्ष संजय मेहता, वरिष्ठ श्रावक अशोक कटारिया, हुक्मीचंद छाजेड़, भारत बाबेल, कमलेश भंडारी, मनोहर लाल छाजेड़, अनिल रुनवाल, रिंकू रुनवाल, अंतिम जैन, रमेश छाजेड़, सूर्या काठी, मनोज जैन, प्रदीप कटारिया, राजेंद्र कटारिया आदि उपस्थित रहे। श्रावण महीने की आमिल आराधना का लाभ धर्मचंद्र ज्ञानचंद मेहता परिवार द्वारा लिया जा रहा है।
