भोले की भक्ति में रमी नारी शक्ति: एक अद्भुत कांवड़ यात्रा का साक्षात्कार




झाबुआ(पिटोल)
झाबुआ। श्रावण मास का वह पावन रविवार जब श्रद्धा, शक्ति और शिवभक्ति का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसने पूरे अंचल को भक्ति के रंग में रंग दिया। पिटोल के समीप स्थित आदिवासी अंचल मंडली में, भामची व मोद नदी के संगम स्थल पर बड़ी संख्या में एकत्र हुईं नारी शक्तियों ने जब कंधे पर कांवड़ रख भोलेनाथ के जयकारों के साथ पाँव बढ़ाए, तो पूरा वातावरण शिवमय हो उठा।
5 किलोमीटर की आस्था यात्रा | समय: दोपहर 12:00 बजे से प्रारंभ
महिलाओं ने लगभग दोपहर 12:00 बजे, मंडली स्थित नदी से कांवड़ में जल भरकर, नंगे पाँव पिटोल नगर की ओर कूच किया। लगभग 5 किलोमीटर की इस पदयात्रा में नगर के प्रमुख शिव मंदिरों में जलाभिषेक किया गया।
रास्ते भर “हर हर महादेव” और “बोल बम” के जयकारों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। महिलाओं ने “गजब है तेरी माया, भेद कोई समझ न पाया, सबसे बड़ा है तेरा नाम भोलेनाथ” जैसे भजनों पर नृत्य करते हुए शिवभक्ति में पूर्णतः लीन होकर अपनी आस्था प्रकट की।
तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है यह परंपरा
2023 में एक साधारण मोबाइल संदेश से शुरू हुई यह यात्रा अब अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। पहले वर्ष किसी को अनुमान भी नहीं था कि यह नारी शक्ति इतनी संख्या में एकत्र होगी। यह अब एक ऐसी परंपरा बन चुकी है, जो हर वर्ष क्षेत्र में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करती है।
नारी सशक्तिकरण और आध्यात्मिकता का संगम
इस आयोजन की सबसे विशेष बात यह रही कि इसकी योजना, समन्वय और क्रियान्वयन – सब कुछ महिलाओं द्वारा ही किया गया। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करती है, बल्कि यह नारी सशक्तिकरण, सामाजिक सहभागिता और आध्यात्मिक जागरूकता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन चुकी है।
यह क्षेत्र में धर्मांतरण जैसे मुद्दों के विरुद्ध सांस्कृतिक जागरूकता का माध्यम भी बन रही है।
नगर में हुआ भव्य स्वागत | समय: दोपहर 2:00 बजे प्रवेश
यात्रा ने लगभग दोपहर 2:00 बजे पिटोल नगर में प्रवेश किया, जहाँ जगह-जगह स्थानीय नागरिकों ने स्वागत किया। मंदिरों में सामूहिक रूप से जलाभिषेक किया गया।
मानो प्रकृति ने भी इस यात्रा में अपनी उपस्थिति दर्शाई — रिमझिम वर्षा की फुहारें महिलाओं पर ऐसे पड़ीं जैसे स्वयं भोलेनाथ उनका जलाभिषेक कर रहे हों |
युवाओं की अहम भूमिका
पूरी यात्रा के दौरान व्यवस्था सटीक रही। स्थानीय पुलिस प्रशासन सुरक्षा में सक्रिय रहा। ग्राम के युवाओं ने जल एवं फलाहार की उत्तम व्यवस्था की, जिससे यात्रा व्यवस्थित और सफल रही। भक्तिमय भजनों के बीच यह यात्रा शाम तक जारी रही।
एक नई प्रेरणा: श्रद्धा, सेवा और संगठन
यह यात्रा केवल भोलेनाथ की भक्ति नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना, एकता और संस्कृति की रक्षा का प्रतीक बन चुकी है। नारी शक्ति ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे केवल आयोजनों की भागीदार नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता भी बन चुकी हैं।
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