“मातृधरा अभियान” के अंतर्गत विद्यालयों में मॉडल मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजनछात्र–छात्राओं ने रिड्यूस, रीयूज एवं रीसाइकल (RRR) थीम पर बनाए मॉडल, दिया “मेरा पर्यावरण, मेरी जिम्मेदारी” का संदेश





झाबुआ। जिले में कलेक्टर नेहा मीना की पहल पर महिलाओं की भागीदारी से पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “मातृधरा अभियान (नारी शक्ति से प्रकृति को शक्ति)” प्रारम्भ हुआ हैं। “मातृधरा अभियान” के अंतर्गत “नारीशक्ति से प्रकृति को शक्ति” विषय पर जिले के विभिन्न शासकीय विद्यालयों में मॉडल मेकिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में सैकड़ों छात्र–छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण संदेशों को अपनी कला और नवाचार के माध्यम से प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पर्यावरणीय जागरूकता, स्थायी जीवनशैली (Sustainable Lifestyle) तथा अपशिष्ट प्रबंधन (Waste Management) के प्रति संवेदनशील बनाना था। विद्यार्थियों ने रिड्यूस (Reduce), रीयूज (Reuse), रीसाइकल (Recycle) (कम करें, पुनः उपयोग करें, पुनर्चक्रण करें) की अवधारणा को आधार बनाकर अद्भुत मॉडल तैयार किए। इन मॉडलों में छात्रों ने अनुपयोगी और फेंक दिए जाने वाले घरेलू सामानों जैसे प्लास्टिक की बोतलें, कार्डबोर्ड, इलेक्ट्रॉनिक कचरा, पुराने कपड़े और धातु के टुकड़ों का रचनात्मक उपयोग कर पर्यावरण हितैषी संदेश दिया। कलेक्टर नेहा मीना के कहा कि इन मॉडलों के माध्यम से छात्रों ने यह प्रदर्शित किया कि यदि हम संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करें और अपशिष्ट प्रबंधन को गंभीरता से अपनाएं, तो न केवल पर्यावरण को बचाया जा सकता है, बल्कि एक स्वच्छ और हरित भविष्य का निर्माण भी संभव है। बच्चों ने “मेरा पर्यावरण, मेरी जिम्मेदारी” को आत्मसात करते हुए अपने मॉडलों की प्रस्तुति दी, जो अत्यंत प्रभावित करने वाली रही। इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करती हैं, बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में भी प्रेरित करती हैं। अनेक स्थानों पर छात्राओं ने विशेष रूप से नेतृत्व करते हुए अपनी रचनात्मक सोच और पर्यावरणीय दृष्टिकोण को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया, जिससे “नारीशक्ति से प्रकृति को शक्ति” थीम को सार्थकता मिली। “मातृधरा अभियान” की यह पहल वर्तमान समय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण सरंक्षण के प्रति गंभीर एवं व्यावहारिक प्रयासों को बढ़ावा देने वाली है। जिला प्रशासन ने भविष्य में भी इस प्रकार की शैक्षणिक सामाजिक गतिविधियों को सतत रूप से जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया है।







