पोधा रोपण ही नहीं प्रकृति से सदैव के लिए अंतर्मन का जुड़ाव”







झाबुआ। शारदा विद्या मंदिर के छात्र विगत 33 वर्षों से प्रकृति संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य सहज ही करते आ रहे है।परिसर में लगने वाले पोधो आम ,नीम,जामुन,आंवला के बीजों को संरक्षित करते है।इन्हीं को परिसर की नर्सरी में नन्हे पॊधे तैयार कर उनका रोपण परिसर एवम परिसर के बाहर के स्थानों में करते है।बिरसा मुंडा की प्रतिमा के आसपास आज जो हरियाली दिखाई देती है उसमे यहां के विद्यार्थियो का भी योगदान रहा है। हॉयर सेकंडरी स्तर में कृषि संकाय के विद्यार्थियो द्वारा परिसर के गार्डन में पालक,मेथी,धनिया की मौसमी खेती की जाती है।शबरी महोत्सव में प्रांगण में लगे कई प्रजातियों के बेर का आनंद लेते हुए शबरी महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।प्रांगण में लगे अनगिनत पोधों की टूटी, सड़ी गली पत्तियों,टहनियों से प्राकृतिक तरीके से वार्मी कम्पोस्ट तैयार किया जाता है,इसकी पैकेजिंग भी यही विद्यार्थियो द्वारा कर विक्रय भी किया जाता है।इसी से विद्यार्थियो में आत्म निर्भरता की भावना आती है।दीपावली के पावन अवसर में संस्था में लगे आम के पत्तों से तोरण माला बनाकर भवन का सौंदर्यीकरण किया जाता है। ऐसे अनेकों उदाहरण है जो शारदा विद्या मंदिर के विद्यार्थियो के द्वारा सहजता और सरलता से व्यवहार में ही आ गया है। खाकरे के पत्तों से पत्तल और दोने बनाकर विभिन्न कार्यक्रमो में
अथीतीयो के अल्पाहार की व्यवस्था इसी में की जाती है।आज हरियाली अमावस्या के पावन अवसर पर विद्यार्थियो ने स्व प्रेरणा से गौ- आहार करवाया साथ ही
रुद्राक्ष,इंसुलिन,लालचंदन,कपूर,
तुलसी,हरसिंगार के दुर्लभ पोेधे लगाए गए।स्वराशि एकत्रीकरण से इन्हीं पोधो के सरंक्षण और संवर्धन हेतु ट्री गार्ड भी विद्यार्थियो ने स्वप्रेरणा से लगाए है।एक पेड़ मा के नाम अभियान से विद्यार्थियो द्वारा लगाए गए पोधे बड़े होकर विकसित हो चुके है।संस्था संचालिका श्रीमती किरण शर्मा और ओम शर्मा सदैव से है प्रकृति प्रेमी रहे है,उनके है अथक प्रयास से शारदा का संपूर्ण परिसर आज हरियाली की हरी चादर ओढ़े हुए है।प्राचार्य डॉक्टर कंचन चौहान और उप प्राचार्य देवेन्द्र व्यास सहित समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।





